RERA’s Strict Action on Builder’s Arbitrary Behavior: ₹20.65 Lakh Had to Be Returned Even After Flat Booking Cancellation
रियल एस्टेट न्यूज़: RERA – मुंबई के दंपत्ति को 20.65 लाख रुपये का मुआवजा मिला, बिल्डर ने अनुबंध रद्द करने पर जब्त की थी बुकिंग राशि
मुंबई, 6 नवंबर 2024: रियल एस्टेट क्षेत्र में घर खरीदने वाले खरीदारों के लिए अच्छी खबर है। महाराष्ट्र अपीलीय न्यायाधिकरण (MahaREAT) ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि कोई भी प्रमोटर बिना उचित और तार्किक कारण के खरीदार की बुकिंग राशि को जब्त नहीं कर सकता। यह फैसला मुंबई के एक दंपत्ति के मामले में आया, जिन्होंने बिल्डर द्वारा उनके साथ किए गए अनुचित व्यवहार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी थी और अंततः 20.65 लाख रुपये मुआवजा जीता।
मामले की पृष्ठभूमि
मुंबई के इस दंपत्ति ने एक बिल्डर से फ्लैट बुक किया था, और इसके लिए उन्होंने अग्रिम रूप से 13.50 लाख रुपये का भुगतान किया। बाद में, उन्होंने एचडीएफसी बैंक से संयुक्त गृह ऋण के लिए आवेदन किया, लेकिन उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि बिल्डर द्वारा आवंटन पत्र केवल पत्नी के नाम पर जारी किया गया था। इस कारण, बैंक ने उनके संयुक्त ऋण आवेदन को अस्वीकार कर दिया।
बार-बार अनुरोध के बावजूद, बिल्डर ने संयुक्त आवंटन पत्र जारी नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप दंपत्ति ने बुकिंग रद्द करने और 13.50 लाख रुपये की अग्रिम राशि की वापसी की मांग की। हालांकि, बिल्डर ने न केवल उनकी मांग को अस्वीकार किया, बल्कि 6.5 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि की मांग की और बताया कि यदि यह राशि भुगतान नहीं की गई, तो वह 2% ब्याज दर से राशि वसूल करेगा।
MahaRERA में शिकायत और निर्णय
दंपत्ति ने इस अनुचित व्यवहार के खिलाफ महाराष्ट्र रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (MahaRERA) में शिकायत दर्ज की। MahaRERA ने निर्णय दिया कि RERA की धारा 13 के तहत बिल्डर को रिफंड नहीं दिया जा सकता। इसके बजाय, बिल्डर को बुकिंग के अनुसार विक्रय अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का निर्देश दिया गया। यदि बिल्डर इस निर्देश का पालन नहीं करता, तो उसे अगले महीने के भीतर राशि वापस करनी होगी।
हालांकि, बिल्डर ने इस निर्देश का पालन नहीं किया, जिसके बाद दंपत्ति ने महाराष्ट्र अपीलीय न्यायाधिकरण (MahaREAT) में अपील दर्ज की।
MahaREAT का निर्णय
MahaREAT के 27 सितंबर 2024 के आदेश के अनुसार, प्रमोटर ने RERA की धारा 13 और 18 दोनों का उल्लंघन किया है। MahaREAT ने पाया कि फ्लैट की कीमत 1.15 करोड़ रुपये थी और दंपत्ति ने अग्रिम में 13.50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो फ्लैट की कुल कीमत का 10% से अधिक था। इसके बावजूद, बिल्डर ने फिर से 6.5 लाख रुपये की मांग की थी, जो कि RERA अधिनियम की धारा 13 का स्पष्ट उल्लंघन है।
धारा 13 के अनुसार, प्रमोटर बिना विक्रय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, फ्लैट की कुल कीमत का 10% से अधिक राशि स्वीकार नहीं कर सकता। इसके साथ ही, धारा 18 के तहत यदि प्रमोटर किसी भी कानूनी जिम्मेदारी को पूरा करने में असफल होता है, तो उसे खरीदार को मुआवजा देना होगा।
प्रमोटर का बचाव और MahaREAT का ठुकराना
प्रमोटर के वकीलों ने तर्क दिया कि बुकिंग रद्द करने पर प्रमोटर को फ्लैट की कुल कीमत का 10% जब्त करने का अधिकार है। हालांकि, MahaREAT ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि प्रमोटर द्वारा इस मामले में किसी भी प्रकार की हानि का प्रमाण नहीं दिया गया, इसलिए बिना किसी उचित कारण के राशि की जब्ती अवैध है।
MahaREAT ने कहा कि प्रमोटर के पास दंपत्ति द्वारा दी गई राशि को रोकने का कोई कानूनी अधिकार नहीं था और यह रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के उद्देश्यों के खिलाफ है। इसके अलावा, अदालत ने यह भी पाया कि प्रमोटर ने रेरा की धारा 18 के तहत खरीदारों को मुआवजा देने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा नहीं किया।
दंपत्ति को 20.65 लाख रुपये मुआवजा
MahaREAT ने दंपत्ति को 13.50 लाख रुपये की अग्रिम राशि के साथ-साथ ब्याज सहित 20.65 लाख रुपये वापस करने का आदेश दिया। यह ब्याज भारतीय स्टेट बैंक की सबसे उच्च मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट (MCLR) पर 2% अतिरिक्त जोड़कर गणना की गई। यदि प्रमोटर इस आदेश के खिलाफ अपील नहीं करता, तो दंपत्ति को यह राशि जल्द ही प्राप्त होगी।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
ALMT लीगल की वरिष्ठ पार्टनर, छाया विरानी ने कहा, “इस मामले में प्रमोटर ने RERA की धारा 13 और 18 दोनों का उल्लंघन किया है। धारा 13 के तहत प्रमोटर को खरीदार से कुल कीमत का 10% से अधिक अग्रिम राशि लेने से पहले विक्रय अनुबंध पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है। प्रमोटर ने न केवल इस निर्देश का पालन नहीं किया, बल्कि बुकिंग रद्द होने के बाद भी राशि वापस नहीं की।”
इसके अलावा, ALMT लीगल के ज़हीर तापिया ने कहा कि यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि बिना किसी कानूनी आधार के खरीदार की राशि को जब्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि रेरा के तहत, खरीदारों को ऐसे मामलों में मुआवजे का अधिकार है जहां प्रमोटर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में असफल होते हैं।
महत्वपूर्ण कानूनी सबक
यह मामला सभी रियल एस्टेट खरीदारों के लिए महत्वपूर्ण कानूनी सबक प्रदान करता है:
1. 10% से अधिक राशि की मांग के लिए विक्रय अनुबंध अनिवार्य है: RERA की धारा 13 के तहत, यदि खरीदार ने कुल कीमत का 10% से अधिक भुगतान कर दिया है, तो प्रमोटर को अनिवार्य रूप से विक्रय अनुबंध पर हस्ताक्षर करना होगा। इसके बिना, प्रमोटर अतिरिक्त भुगतान की मांग नहीं कर सकता।
2. रिफंड के अधिकार: RERA की धारा 18 के तहत, खरीदारों को प्रमोटर की कानूनी जिम्मेदारियों को पूरा न करने पर रिफंड और ब्याज के साथ मुआवजे का अधिकार है।
3. जब्ती के लिए उचित कारण आवश्यक: प्रमोटर को खरीदार की राशि जब्त करने के लिए यह साबित करना होगा कि बुकिंग रद्द होने से उसे हानि हुई है। बिना उचित कारण के जब्ती अवैध है।
निष्कर्ष
MahaREAT का यह फैसला रियल एस्टेट क्षेत्र में खरीदारों के हितों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। यह न केवल प्रमोटरों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि वे कानूनी जिम्मेदारियों का पालन करें, बल्कि खरीदारों के लिए भी यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। इस निर्णय से भविष्य में खरीदारों को अधिक सुरक्षा और न्याय मिलने की उम्मीद है।
+ There are no comments
Add yours