Tirupati Laddu : Government will conduct deeper probe into use of Animal fats during YSRCP regime, says Minister Nara Lokesh
तिरुपति लड्डुओं में YSRCP शासनकाल के दौरान पशु वसा के उपयोग की गहरी जांच कराएगी सरकार: मंत्री नारा लोकेश
तिरुपति: राज्य मंत्री नारा लोकेश ने दोहराया कि TDP के नेतृत्व वाली NDA सरकार तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डुओं की तैयारी में घी में पशु वसा की मिलावट के मामले की गहन जांच कराएगी, जो YSRCP शासनकाल के दौरान कथित रूप से की गई थी।
गुरुवार को तिरुपति में पत्रकारों से बात करते हुए, लोकेश ने YSRCP के राज्यसभा सांसद और पूर्व TTD (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) अध्यक्ष वाई.वी. सुब्बा रेड्डी के इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया को गलत ठहराया और उनसे सवाल किया कि क्यों कर्नाटक मिल्क फेडरेशन, जो TTD को उच्च गुणवत्ता वाला घी सप्लाई कर रहा था, को अचानक आपूर्ति श्रृंखला से बाहर कर दिया गया ताकि तत्कालीन सत्ताधारी दल के नेताओं द्वारा पसंदीदा आपूर्तिकर्ताओं को इसमें शामिल किया जा सके।
“जांचकर्ताओं को पूरी स्वतंत्रता दी गई है, और वे इस घोटाले की तह तक पहुंचेंगे,” मंत्री ने जोर देते हुए कहा।
लोकेश ने आगे कहा, “यह YSRCP शासनकाल के दौरान किया गया एक बड़ा पाप है, जब तिरुपति के विश्व प्रसिद्ध लड्डुओं की तैयारी में पशु वसा और घटिया कच्चे माल का उपयोग करने की अनुमति दी गई। लड्डुओं और अन्नप्रसादम की गुणवत्ता, स्वाद और बनावट में गिरावट आई, और कई तीर्थयात्रियों ने इसकी शिकायत भी की थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि YSRCP के नेता अभी भी अपने कृत्यों का बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि प्रयोगशाला रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि उनके शासनकाल के दौरान TTD को सप्लाई किए गए घी में पशु वसा मौजूद थी।”
यह विवाद तिरुपति लड्डुओं के पवित्र और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए बड़े स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। तिरुपति लड्डू न केवल एक मिठाई है, बल्कि यह तिरुमाला मंदिर के साथ जुड़ी हुई एक परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक है। हर साल लाखों तीर्थयात्री भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करने के बाद इस प्रसाद के रूप में लड्डू प्राप्त करते हैं, और इस लड्डू का महत्व उनके धार्मिक जीवन में अत्यधिक है।
घी में मिलावट का मुद्दा:
यह मुद्दा तब सामने आया जब YSRCP शासनकाल के दौरान सप्लाई किए गए घी में कथित रूप से पशु वसा की मिलावट की शिकायतें आईं। विभिन्न तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों ने लड्डुओं की गुणवत्ता में गिरावट महसूस की और इस बारे में शिकायतें कीं। इन शिकायतों के बाद, TDP नेताओं ने इस मामले की जांच की मांग की थी, जिसमें पशु वसा का उपयोग स्पष्ट हुआ।
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन, जो पहले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम को घी की आपूर्ति करता था, को अचानक से आपूर्ति श्रृंखला से बाहर कर दिया गया था, और इसके स्थान पर कुछ नए आपूर्तिकर्ताओं को शामिल किया गया, जिनकी गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए गए। यह आरोप लगाया गया कि ये आपूर्तिकर्ता सत्ताधारी YSRCP नेताओं के करीबी थे और उनके दबाव में उन्हें शामिल किया गया था।
नारा लोकेश ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि TTD जैसे प्रतिष्ठित और पवित्र संस्थान के लिए यह अत्यंत शर्मनाक है कि वहां घटिया और मिलावटी सामग्री का उपयोग किया गया। “लड्डू केवल प्रसाद नहीं हैं, यह भगवान वेंकटेश्वर की कृपा का प्रतीक हैं। इस प्रकार की मिलावट एक धार्मिक अपमान है और इससे जुड़े लोगों को सख्त सजा मिलनी चाहिए,” लोकेश ने कहा।
प्रयोगशाला रिपोर्ट और YSRCP का बचाव:
प्रयोगशाला रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया कि YSRCP शासनकाल के दौरान सप्लाई किए गए घी में पशु वसा के तत्व मौजूद थे। रिपोर्ट के सामने आने के बाद भी YSRCP नेताओं ने इस मुद्दे को खारिज कर दिया और इसे राजनीतिक साजिश करार दिया। पूर्व TTD अध्यक्ष और YSRCP नेता वाई.वी. सुब्बा रेड्डी ने इस पर जोर देते हुए कहा कि यह मुद्दा TDP द्वारा उनकी छवि खराब करने की कोशिश है और उनके कार्यकाल में घी की गुणवत्ता पर कभी कोई समझौता नहीं हुआ था।
सुब्बा रेड्डी ने कहा, “हमने हमेशा TTD में उच्चतम गुणवत्ता वाले कच्चे माल का उपयोग किया है। घी की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं थी, और यह एक साजिश है जिसका उद्देश्य YSRCP सरकार को बदनाम करना है।”
हालांकि, नारा लोकेश और TDP ने इन दावों को खारिज कर दिया और इस मुद्दे की व्यापक जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि YSRCP शासनकाल में भ्रष्टाचार और गलत नीतियों के कारण ही यह समस्या उत्पन्न हुई है, और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के दायरे में लाया जाएगा।
TTD की भूमिका और भविष्य की जांच:
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) एक अत्यंत प्रतिष्ठित संस्था है, जो तिरुपति मंदिर और उसकी गतिविधियों का संचालन करती है। TTD का कार्य न केवल तीर्थयात्रियों की धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा करना है, बल्कि मंदिर की संपत्तियों और प्रसाद की गुणवत्ता को बनाए रखना भी है। इस विवाद के बाद TTD की प्रतिष्ठा पर भी सवाल उठे हैं, और कई लोगों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की मांग की है।
मंत्री नारा लोकेश ने इस बात पर भी जोर दिया कि वर्तमान सरकार TTD के कामकाज में सुधार लाने के लिए कड़े कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में गहन जांच की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को फिर से घी की आपूर्ति के लिए बहाल किया जाएगा ताकि तीर्थयात्रियों को उच्च गुणवत्ता का प्रसाद मिल सके।
धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण:
तिरुपति लड्डू सिर्फ एक मिठाई नहीं है, यह भगवान वेंकटेश्वर के भक्तों के लिए एक विशेष आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। हर साल लाखों लोग तिरुमाला में दर्शन के लिए आते हैं और लड्डू को प्रसाद के रूप में पाते हैं। ऐसे में इसकी गुणवत्ता और शुद्धता पर सवाल उठना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों के साथ छेड़छाड़ को लेकर हमेशा से ही संवेदनशीलता रही है। तिरुपति लड्डुओं में पशु वसा के उपयोग की खबर ने न केवल श्रद्धालुओं में आक्रोश पैदा किया है, बल्कि यह मुद्दा राजनीतिक रंग भी ले चुका है। TDP और YSRCP के बीच इस मामले को लेकर खींचतान जारी है, और आने वाले समय में यह मुद्दा और गरम हो सकता है।
आगे की कार्रवाई:
नारा लोकेश ने स्पष्ट किया कि सरकार इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरतेगी। जांच के परिणामों के आधार पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, “हमारी सरकार तिरुमाला मंदिर और TTD की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हम सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों और भक्तों को शुद्ध और उच्च गुणवत्ता का प्रसाद मिले।”
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार की ओर से गठित विशेष जांच दल (SIT) को पहले ही इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा जा चुका है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं, और जिन लोगों ने इस मिलावट में भूमिका निभाई है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज होगी।
निष्कर्ष:
तिरुपति लड्डुओं में घी में पशु वसा के उपयोग का मामला धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। नारा लोकेश और TDP ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है और YSRCP शासनकाल की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। आने वाले समय में यह देखा जाना बाकी है कि जांच के परिणाम क्या आते हैं और दोषियों को किस हद तक सजा मिलती है।
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